सत्य वही चिड़िया कहा, गाए श्रद्धा गीत। डाल-डाल पर फुदकती, पात-पात से प्रीत ।। भावार्थ -सत्यरूपी चहकती चिड़िया जो हमेशा श्रद्धा के ही गीत गाती है। जो हर डाल पर फुदकती हुई, पात-पात से प्यार की डोर बाँधती हुई फुर्र-फुर्र उड़ती हुई नज़
भयउ कौसिलहि बिधि अति दाहिन। देखत गरब रहत उर नाहिन। देखहु
देखत स्यामल धवल हलोरे। पुलकि सरीर भरत कर जोरे।। सकल कामप्
रहिमन देख बड़ेन को लघु न दीजिये डार। जहाँ काम आवे
दरस परस मज्जन अरु पाना, हरइ पाप कह बेद पुराना।
भला बुरा सबका सुनिये, ये भली बात सबूरी में मन लागो मेरो यार फकीरी में। शिवजी ने कंठ में विष रखा है। उसी प्रकार हे युवक! यौवनास्था में तुझे विष पीना पडे़गा। कड़वेघूँट पीने का समय आयेगा। तब विष अन्दर भी मत जाने देना और बाहर भी मत निकालना। बाहर निकालेगा तो तेरा परिवार दुःखी होगा। अन्दर रखेगा तो तू जल
एकः पापानि कुरुते, फलं भुङ्क्ते महाजनः । भोक्तारो विप्रमुच्यन्ते, कर्ता
दोहावली राम नाम निज मूल है, कहै कबीर समुझाय।
हरि सुमिरन अवसर पाकर गुनगुना, हरि सुमिरन में झूम।
इस मंत्र के द्वारा भगवान गणेश को दीप दर्शन कराना चाहिए साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया । दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् ।। भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने ।